रिश्तों की राजनीति- भाग 13
भाग 13
अभिजीत अपनी गलती पर शर्मिंदा होता है और उसके लिए कई बार माफ़ी भी मांग चुका होता है सान्वी से। लेकिन सान्वी का गुस्सा अपनी जगह बरकरार रहता है। वो अभिजीत से पहले की तरह बात करना बंद कर देती है। कुछ दिनों तक न वो कॉलेज जाती है, न ही अक्षय को फोन करती है। वो जानना चाहती थी कि अक्षय उससे सच में प्यार करता है कि नहीं?
अगर उसे वाकई में सान्वी से प्यार है तो वो इतनी आसानी से उसे छोड़कर नहीं जाएगा।
कुछ दिनों बाद सान्वी कॉलेज जाना शुरू कर देती है। वो अक्षय को देखकर भी नजरअंदाज कर देती है। अक्षय भी उससे अपनी तरफ से बात करने की कोशिश नहीं करता। सान्वी को अक्षय का ऐसा व्यवहार देखकर गुस्सा तो बहुत आता है, लेकिन इस बार वो उसकी अटेंशन के लिए बेचैन नहीं होती। उसके दिमाग में अलग ही कुछ चल रहा होता है, बस यही सोच रही होती है कि अपने विचारों को सही दिशा कैसे दे?
महीना बीत जाता है, अक्षय और सान्वी के बीच कोई बात नहीं होती। अभिजीत को लगने लगता है कि सान्वी के सिर से अक्षय का भूत उतर चुका है और दोनों अब हमेशा के लिए अलग हो चुके हैं। वो सान्वी की तरफ से थोड़ा बेफिक्र हो जाता है।
अभिजीत अपने बैंक की परीक्षा के परिणाम का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा होता है लेकिन बदकिस्मती से वो असफल हो जाता है। वो बाहर से अपने आपको बहुत मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहा होता है लेकिन अंदर से वो बिखर रहा होता है। ऐसे में उसके मामा की बेटी शरवरी उसका सहारा बनती है। उसे फिर से कोशिश करने के लिए प्रेरित करती है। अभिजीत को निराश देखकर जहाँ सभी घरवाले चिंता में होते हैं, वहीं सान्वी अपनी उलझनों में व्यस्त होती है।
आई कई बार कहती भी है सान्वी को कि तू बदल गई है। पहले कितना हँसती थी, अब चुपचाप अपने में रहने लगी है।
सान्वी मुस्कुराते हुए कहती है….तेरी सान्वी बड़ी हो गयी है आई अब।
अभिजीत बाबा की घरखर्च में मदद करने के लिए एक कंपनी में नौकरी कर लेता है। सुबह से शाम नौकरी और फिर घर आकर परीक्षा की तैयारी। अभिजीत जहां शरवरी को हमेशा नज़र अंदाज़ करने की कोशिश करता था, वहीं अब उसके साथ वक़्त बिताने लगा था।
सान्वी और अक्षय के बीच मुलाकातें फिर से शुरू हो गईं थी। सान्वी ने अक्षय को मना लिया था। अक्षय इस खुशवहमी में था कि वो सान्वी को गोल-गोल घुमा रहा है अपने प्यार के जाल में। लेकिन क्या यह शत प्रतिशत सच था या फिर मात्र भ्रम? देखते-देखते अक्षय की ग्रेजुएशन पूरी हो जाती है और सान्वी कॉलेज के आखिरी साल में आ जाती है।
सान्वी की उम्मीदें बढ़नी लगती हैं अक्षय से और अक्षय की सान्वी से। अक्षय के सब्र का बाँध टूट रहा होता है। हर बार सान्वी की न सुन-सुनकर वो तंग आ चुका होता है और सान्वी के लिए भी हर बार न करना मुश्किल हो रहा होता है। वो उसे उसके बाबा से बात करने के लिए कहती है। लेकिन वो यह कहकर मना कर देता है कि कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं, बाबा अभी व्यस्त हैं।
अक्षय एक दिन सान्वी को अपने करजत वाले फार्म हाउस ले जाता है घुमाने के लिए। इतना बड़ा बंगला और फार्म देखकर उसकी आँखें खुली की खुली रह जाती है। वो अक्षय से कहती है….शादी के बाद हम शनिवार-रविवार को यहाँ आया करेंगे वक़्त बिताने के लिए।
मैं भी यही सोच रहा था सान्वी। चलो आओ तुम्हें हमारा बैडरूम रूम दिखाता हूँ।
सान्वी चौंककर कहती है….क्या कहा, तुमने फिर से कहो तो ज़रा?
हमारा बैडरूम यानि कि अक्षय जगताप पाटिल और सान्वी अक्षय पाटिल का बैडरूम।
यह बात सुनकर सान्वी के चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट आ जाती है। वो कहती है….पहले पूरा बंगला तो देख लें, बैडरूम बाद में देखेंगे।
अक्षय उसे पूरा बंगला दिखाने के बाद बैडरूम में ले जाता है। इतना बड़ा बैडरूम होता है कि उसमें सान्वी के घर के दो कमरें समा जाए। नक्काशी किया हुआ सुन्दर सा बेड होता है और उस पर मखमली गद्दे। यह देखकर उसे अपने कमरे के फर्श पर बिछी सतरंजी और दुपटा नजर आने लगता है। (सतरंजी- चटाई, दुपटा- पुरानी साड़ियों से बनी गुदड़ी)
वो अक्षय के इस मखमली बिस्तर को महसूस करने के लिए बेड पर आँखें बंद करके लेट जाती है। उसे यूँ बिस्तर पर आँखें बंद करके लेटा हुआ देखकर अक्षय खुद को रोक नहीं पाता और उसके करीब अाने की कोशिश करता है, तभी सान्वी की आंख खुल जाती है और अक्षय को यूँ अपने करीब देखकर कहती है…..इतनी भी क्या जल्दी है अक्षय? शादी से पहले ये सब ठीक नहीं है अक्षय।
अक्षय गुस्से से उठ कर खड़ा हो जाता है और कहता है…..इसका मतलब तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं। तुम्हारे भाई की तरह तुम्हें भी यही लगता है कि मैं तुम्हारा इस्तेमाल करके तुम्हें छोड़ दूंगा। सान्वी अगर तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं तो इस रिश्ते को शादी तक लेकर जाने का कोई मतलब नहीं। प्यार में भरोसा होना जरुरी है, जो तुम्हें मुझ पर नहीं है।
नहीं अक्षय ऐसा मत कहो, मुझे तुम पर, तुम्हारे प्यार पर पूरा भरोसा है।
अक्षय सान्वी को अपनी बाहों में खींचते हुए कहता है….अगर जो तुम कह रही हो वो सच है तो उसे साबित करके दिखाओ।
ठीक है मैं अपने प्यार को साबित करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन एक शर्त पर।
क्या?
तुम्हें मुझसे शादी करनी होगी वो भी अभी।
पागल हो क्या, यह असल जिंदगी है कोई फिल्म नहीं है।
मैंने कौनसा तुमसे बाराती इकट्ठे करने को कहे हैं। तुम्हारे इस घर में भी तो मंदिर है। भगवान को साक्षी मानकर मेरी माँग भर दो और मंगल सूत्र पहना दो। बस हो गयी शादी।
अब कहोगे सिंदूर और मंगल सूत्र कहाँ से लाऊँ?
मंदिर में कुमकुम तो होता ही है। रही मंगलसूत्र की बात तो तुम्हारे गले में जो चेन है, वो मुझे पहना देना। उसी को मैं मंगलसूत्र समझ लूँगी।
अक्षय उसे घर में बने मंदिर में ले जाता है। उसकी माँग में सिंदूर भरते हुए कहता है…..भगवान को साक्षी मानकर मैं तुम्हें अपनी पत्नी स्वीकार करता हूँ।
फिर अपने नाम की चेन उसके गले में पहना देता है।
सान्वी और अक्षय आँखे बंद करके भगवान से प्रार्थना करते हैं और फिर दोनों कमरे में चले जाते हैं।
❤सोनिया जाधव
Seema Priyadarshini sahay
06-Jul-2022 10:40 AM
बहुत खूबसूरत रचना👌
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Saba Rahman
06-Jul-2022 12:26 AM
Nyc
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Renu
05-Jul-2022 05:48 PM
👍👍
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